रायगढ़ /लल्लू सिंह के कांग्रेस के इस्तीफे के साथ उन सारी बातों से पर्दा उठ गया, जिसे लेकर कांग्रेस अपनी बखान करती थी,लल्लू सिंह रायगढ की राजनीति के वरिष्ठ नेता है और बेबाक तरीके से अपने ही अन्दाज में हमेशा किसानों के हित मे मुखर होकर अपना पक्ष रखते रहे है,

जिसकी वजह से किसान नेता के नाम से इनकी क्षेत्र में पहचान है कुछ दिनों पूर्व ही नेतनागर में नहर निर्माण को लेकर जिस तरह से प्रशासन ने जोर जबर्दस्ती कर नहर बनाना चाहती थी, उसे लेकर वँहा एक बड़ा आंदोलन लल्लू सिंह के नेतृत्व में खड़ा किया गया, जो कि करीब 1 महीने तक चला किसानों को जेल तक जाना पड़ा,

  ऐसे जमीनी और किसान नेता का प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस के सभी पदों से स्तीफा देना और स्पष्ठ रूप से कांग्रेस पर आरोप लगाना की किसानों की उपेक्षा की जाती है, यह बात कांग्रेस के उस दावे की कलाई खोलती है जिसे लेकर कांग्रेस अपने आप को कांग्रेस हितैषी होने का बखान करती है,

   उन्होंने कांग्रेस पर यह आरोप भी लगाया कि कार्यकर्ताओ का कोई सम्मान पार्टी में नही है, ऐसे में कांग्रेस किस मुहं से अपने आप को कार्यकर्ताओ की पार्टी कहती है, जंहा इतने वरिष्ठ नेता वो भी किसान नेता का अपमान इस तरह से किया जा रहा हो,

      जब से रामायण महोत्सव का आयोजन रायगढ में हुआ है, तब से कांग्रेस की गुटबाजी सतह पर आ गई है, कभी किसी गुट का बयान तो कभी किसी गुट का बयान सामने आ रहा है, हर कोई रामायण महोत्सव के दौरान भी पोस्टर पर से स्थानीय विधायक का फोटो का गायब होना और अलग अलग गुटों के द्वारा बिना प्रोटोकाल के पोस्टर बैनर लगाना यंहा तक कि मंच व्यवस्था में भी गुट व्यवस्था साफ दिखी, लल्लू सिह का कांग्रेस छोड़ना इन सभी बातों पर मुहर लगाती है अभी तो यह शुरुआत है, चुनाव आते आते पता नही यह उपेक्षा क्या क्या रंग दिखाती है,

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