जशपुर / यहाँ आज भी डोले के सहारे लोग पहुचते है अस्पताल,जी हाँ हम बात कर रहें है,छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाके जशपुर की जहाँ आज भी कुछ ऐसे भी गाँव है जहा सड़क के आभाव में एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है,जिसके चलते आज भी लोग अपने गावं से मुख्य सड़क तक पहुचने के लिए डोले (कावर) और पालकी का सहारा लेना पड़ता है,

दरअसल जशपुर जिले के ग्राम पंचायत मरंगी के चुरीलकोना में एक गंभीर रूप से बीमार वृद्ध मरीज को पालकी में बिठाकर अस्पताल ले जाने के लिए मुख्य सड़क तक लाया गया, आपको बता दें की इस ग्राम में सड़क की सुविधा नहीं होने से गर्भवती महिला या फिर अन्य मरीजों को आज भी मुख्य सड़क तक ले जाने के लिए लोग कांवर और पालकी का सहारा लेना पड़ता है,

यही वजह है कि जशपुर के अंदरूनी ग्रामीण अंचलों में आज भी आदिवासियों की जिंदगी एक पालकी पर टिकी हुई है.यहाँ बीमार मरीजों और गर्भवती महिलाओ को गांव के लोग इसी तरह पालकी के सहारे स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों तक पहुंचाते है. इस दौरान कई बार समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के चलते कई मरीजों की जान भी चली जाती है.

भले ही सरकार आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में विकास के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है, देश की आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी इस क्षेत्र के ग्रामीण आज भी अपने गांवो में लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं इन गांवो में ना स्वास्थ सुविधा और ना ही सड़क…….

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