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राज्य अतिथि गृह पहुना में मेजबान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जागेश्वर राम को पुकारा-आ ऐती आ, उहां का खड़े हस, मोर कोती आ……

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रायपुर/राज्य अतिथि गृह पहुना में मेजबान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय हैं और पहुना है प्रदेश भर से आने वाले उनके आत्मीय स्नेहीजन, हर स्नेहीजन से मुख्यमंत्री पहुना में बेहद आत्मीयता से मिल रहे हैं, आज मुख्यमंत्री के गांव के निकट भीतघर से उनसे मिलने जागेश्वर राम पहुंचे,

जागेश्वर राम कभी चप्पल नहीं पहनते, वे कपड़े भी मामूली ही पहनते हैं। वे मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से मिलने जब पहुना पहुंचे तो वे बैरिकेड के उस पार थोड़े से संकोच के भाव से अपनी बारी का इंतजार करते खड़े हो गये, मुख्यमंत्री श्री साय जब आये तो परिचितों से भेंट करते वक्त उनकी नजर दूर खड़े जागेश्वर राम पर गई,

उन्होंने जागेश्वर को आवाज लगाई, बड़ी आत्मीयता से उन्होंने पुकारा,आ ऐती आ, उहां का खड़े हस, मोर कोती आ। फिर उन्होंने जागेश्वर राम को गले लगाया, पूरे समय साथ ही रहे और समय-समय पर आत्मीय चर्चा करते रहे। जागेश्वर ने उन्हें कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के 18 लाख लोगों को आवास देने के निर्णय पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से सरगुजा संभाग की विशेष पिछड़ी जनजाति के हजारों बिरहोर लोगों को आवास मिलने का रास्ता खुल गया है जो घास-फूस की झोपड़ियों में हर साल सरगुजा की कड़ी सर्दी गुजारते हैं।

दरअसल जागेश्वर राम और मुख्यमंत्री श्री साय के बीच आत्मीयता की जो कड़ी जुड़ी, वो प्रदेश की अति पिछड़ी जनजाति मानी जाने वाली बिरहोर जनजाति की वजह से जुड़ पाई, जागेश्वर राम महकुल यादव जाति से आते हैं,अपने युवावस्था के दिनों में जब पहली बार वे बिरहोर जनजाति के संपर्क में आये तो इस विशेष पिछड़ी जनजाति की बेहद खराब स्थिति ने उन्हें बेहद दुखी कर दिया,

वे शेष दुनिया से कटे थे शिक्षा नहीं थी, वे झोपड़ियों में रहते थे, स्वास्थ्य सुविधा का अभाव था, उन्होंने संकल्प लिया कि अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति के बेहतरी में लगाऊंगा, यह बहुत बड़ा मिशन था और इसके लिए उन्होंने अपनी ही तरह के संवेदनशील लोगों से संपर्क आरंभ किया,

इसके चलते वे तत्कालीन सांसद श्री विष्णु देव साय के संपर्क में आये, श्री राम ने उनके समक्ष इस जनजाति के विकास के लिए योजना रखी,सांसद ने उन्हें पूरे सहयोग के लिए आश्वस्त किया,इसके बाद सांसद श्री साय के सहयोग से भीतघरा और धरमजयगढ़ में आश्रम खोले,

शुरूआत में ऐसी स्थिति थी कि लोग आश्रम से अपने बच्चों को घर ले जाते थे, लेकिन जब आश्रम में पहली पीढ़ी के बच्चे पढ़कर निकले और उनके जीवन में सुखद बदलाव आये तो बिरहोरों ने अपने बच्चों को यहां भेजना शुरू किया, इस गौरवमयी उपलब्धि के लिए राज्य अलंकरण समारोह में उन्हें शहीद वीर नारायण सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया,

मुख्यमंत्री से जागेश्वर राम ने कहा कि अब हमारे बिरहोर लोगों की मकान की जरूरत पूरी होगी,आपने 18 लाख आवासों के स्वीकृत करने का निर्णय कैबिनेट की बैठक में किया है,मैंने बिरहोरों की तकलीफ देखी हैं,उनकी उजाड़ झोपड़ियों की जगह अब पक्के घर होंगे,छत्तीसगढ़ में बड़ा फैसला आपने किया है, जो लाखों बिरहोरों के जीवन में सुखद बदलाव लाएगा,

अति विशिष्ट अतिथियों की अगवानी करने वाले परिसर पहुना में आने वाला हर व्यक्ति इस बात को लेकर आशंकित रहता है, कि मुख्यमंत्री से मिलने वाले हजारों प्रियजनों के बीच उसे मुख्यमंत्री का थोड़ा समय मिल पाएगा या नहीं??

यह आशंका उन लोगों में और भी बढ़ जाती है जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं, लेकिन पहुना आते ही उन्हें अपने घर-गांव जैसा ही माहौल लगता है, जैसे पूरा पहुना परिसर मड़ई की तरह हो गया, हो और वे पहुना हो गये हों, अपने लोगों से गहरा स्नेह रखने वाले मुख्यमंत्री यह सुनिश्चित कर रहे हैं, कि अपने सभी प्रियजनों को समय दें,

खाट-पलंग की व्यवस्था की थी, श्री साय ने- श्री जागेश्वर राम ने बताया कि मुख्यमंत्री ने सांसद रहते बिरहोर जनजाति के दुखदर्द को समझा, वे झोपड़ियों में सर्द रातें बिना खाट के गुजारते थे,श्री साय ने उनके लिए खाट-पलंग की व्यवस्था की, वे 1980 से ही उनके साथ हैं और पहाड़ी कोरवा तथा बिरहोर जनजाति के इलाकों में जब भी दौरे पर जाते हैं, जागेश्वर राम को साथ ही रखते हैं,

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