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कहाँ तक खेल कर सकते है निर्दलीय, निर्दलियों पर टिकी है कांग्रेस/बीजेपी की उम्मीद…….

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रायगढ़ / विधानसभा 2023 चुनाव में दूसरे दौर का मतदान 17 नवंबर को होने जा रहा है, जिसके लिए आज शाम 5 बजे से प्रचार प्रसार थम गया है,छोटी-बड़ी सभा,रैलियां, गली-गली भ्रमण और घर-घर दस्तक से मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के बाद अब मतदाताओं का झुकाव किस ओर है, इसकी थाह लेने में विशेषज्ञ जुटे हुए हैं,

रायगढ़ जिले में रायगढ़ विधानसभा हॉट शीट बनी हुई है क्योंकि यहां से भाजपा के प्रत्याशी ओपी चौधरी सीधे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निशाने पर हैं,ओपी चौधरी को चारों तरफ से घेरने में मुख्यमंत्री ने कोई कसर बाकी नही रखी है,उन्होंने यहाँ लगातार सभाए की है, वही यहाँ दोनों ही पार्टियों से असंतुष्ट उम्मीदवार सीधे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी समर में कूदकर कुछ मुश्किले और बढ़ा दी है,

सूत्रों के अनुसार एक मालदार निर्दलीय उम्मीदवार सीधे सूबे के मुखिया से संचालित हो रहे हैं, वहीं दूसरे निर्दलीय उम्मीदवार के पीछे सूबे के मुखिया के अलावा प्रदेश भाजपा के एक कद्दावर नेता का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है, गेम प्लान यह है, कि मालदार नेता पैसे व सामाजिक समीकरण के तहत भाजपा के मतों पर सेंधमारी करे, तथा दूसरा बागी उम्मीदवार ग्रामीण अंचल में जाति-बिरादरी के नाम पर व भाजपा से पुराने रिश्तों के दम पर भाजपा के प्रतिबद्ध मतों में दस से बारह हजार वोट झटक ले और कांग्रेस अपना परंपरागत वोट पाकर किला फतह कर ले,

चुनाव में राजनैतिक पैंतरेबाजी व साजिश कोई नई बात नही है, परंतु कागजों में तैयार की गई रणनीतियां हूबहू धरातल पर मूर्त रूप ले ले यह निश्चित नही होता है,रायगढ़ विधानसभा में भी कमोबेश यही स्थिति है,शह और मात के तमाम हथकंडों के बावजूद रायगढ़ विधानसभा का चुनाव ओपी चौधरी एवं प्रकाश नायक के व्यक्तित्व एवं उनकी छवि के इर्द-गिर्द आकर केंद्रित हो गया है,

भाजपा ने प्रकाश नायक द्वारा 2008 में जारी किए गए घोषणा पत्र को जनता के समक्ष रखकर बिंदुवार कांग्रेस की वादाखिलाफी व असफलताएं गिनाई, अंत मे ओपी चौधरी ने मास्टर-स्ट्रोक के रूप में अपना सर्वसमावेशी विज़न डॉक्यूमेंट आम जनता के समक्ष स्थानीय घोषणा पत्र के रूप में रख दिया,

पूरे प्रचार अभियान के दौरान टीम प्रकाश नायक अपनी उपलब्धियां और भावी रोडमैप बताने की बजाय अधिकांश समय ओपी चौधरी पर व्यक्तिगत आक्षेप करते दिखाई दिए, जबकि ओपी चौधरी जनहित के मुद्दों पर फोकस रहे,उनके द्वारा युवा वर्ग के लिए प्रस्तुत कैरियर मार्गदर्शिका पुस्तक विशेष रूप से चर्चा का विषय बना और आम जनता के बीच ‘ किताब वर्सेस शराब ‘ का जुमला स्वतः प्रतिध्वनित होने लगा, इस नारे को गेम चेंजर के रूप में भी देखा जा रहा है…..

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