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अजब विभाग का गजब कारनामा- एक महिला ढाई साल में 25 बार बनी ‘मां’ और 5 बार हुई नसबंदी………

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आगरा / यूपी से घोटले का अक अजब ही कारनामा सामने आया है यहाँ एक महिला ढाई साल में 25 बार बनी ‘मां’ और 5 बार उसकी नसबंदी भी हो गई, दरअसल उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में जननी सुरक्षा योजना की प्रोत्साहन राशि हड़पने के एक बडे़ खेल का खुलासा हुआ है,

इस खुलासे के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची हुई है,ऑडिट में कोख से कमाई का खेल पकड़ने जाने पर आगरा सीएमओ ने जांच के लिए नो​डल अधिकारी बनाए हैं,

आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी के लाभार्थियों के भुगतान में किए गए घोटाले की जांच के लिए एनएचएम की निदेशक डॉ. पिंकी जोवल आगरा पहुंचीं जो बुधवार और गुरुवार को आगरा में रहकर सीएचसी और अन्य संस्थानों का निरीक्षण करके जांच रिपोर्ट तैयार करेंगी,

इसके साथ ही आगरा सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्वत ने फतेहाबाद सीएचसी पर 32 वर्षीय कृष्णा कुमारी के बयान दर्ज किए. कृष्णा कुमारी की कागजों में ढाई साल में 25 बार डिलीवरी और पांच बार नसबंदी कराना दिखाकर सीएचसी के डॉक्टर्स, कर्मचारी, आशा और एक अन्य व्यक्ति ने 45 हजार रुपए का भुगतान हड़पा है.

जबकि, हकीकत में कृष्णा कुमारी 8 साल से मां ही नहीं बनी हैं. ऐसी ही अन्य महिलाएं हैं, जिनके साथ कागजों में खेल किया गया है. इन महिलाओं की फर्जी तरीके से गोद भराई और नसबंदी कराकर 8.75 लाख रुपये का खेल किया गया है.

बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी के लिए आगरा जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022-23 में किए गए भुगतान का ऑडिट कराया गया. जिसमें करीब नौ लाख रुपये का संदिग्ध भुगतान पकड़ में आया.

सीएचसी फतेहाबाद से कृष्णा कुमारी के बैंक खाते में ढाई साल के अंदर 45 हजार रुपए का भुगतान किया गया. कागजों में कृष्णा कुमारी की ढाई साल में 25 बार डिलीवरी और पांच बार नसबंदी कराने का खेल किया गया.

रिश्तेदार ने खुलवाया था बैंक में खाता: आगरा सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि सीएचसी फतेहाबाद पर बुलाकर कृष्णा कुमारी के बयान दर्ज किए गए. जिसमें कृष्णा कुमारी ने बताया कि मेरा गांव नगला कदम है पति छोटू गुरुग्राम में नौकरी करते हैं और मैं उनके पास ही रहती हूं.

मेरी पहली डिलीवरी 2014 में उप स्वास्थ्य केंद्र डौकी में हुई थी. तीन वर्ष बाद 2017 में दूसरी डिलीवरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहाबाद में हुई थी. दोनों बार मैंने बेटों को जन्म दिया. 2017 की दूसरी डिलेवरी के बाद मैंने नसबंदी करा ली. इसके बाद मेरे कोई बच्चा नहीं हुआ.

मेरे रिश्तेदार अशोक ने पेंशन दिलाने की कहकर कागजों पर हस्ताक्षर कराए और बैंक ऑफ इंडिया में खाता खुलवाया था. बैंक खाते में मेरा मोबाइल नंबर नहीं है. जिसकी वजह से मेरे पास कभी बैंक से कोई मैसेज भी नहीं आया.

कोख से कमाई में कौन-कौन जिम्मेदार: आगरा सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि सीएचसी पर डिलीवरी और नसबंदी कराने पर भुगतान डॉक्टर्स, एएनएम, डाटा ऑपरेटर और आशा से सत्यापन होता है. सीएचसी फतेहाबाद पर 2022, 2023 में डॉ. वीके सोनी, डॉ. देवेंद्र और डॉ. एके सिह अधीक्षक रहे हैं.

इस मामले में इन सभी के बयान दर्ज किए जाएंगे. अभी वर्तमान अधीक्षक प्रमोद कुशवाह, ब्लाक एकाउंट मैनेजर नीरज अवस्थी, डाटा ऑपरेटर गौतम और गौरव थापा के बयान दर्ज किए गए हैं.

दोषियों पर मुकदमा दर्ज कराकर होगी रिकवरी: जिले की सभी सीएचसी के साथ ही एसएन मेडिकल कॉलेज और जिला महिला चिकित्सालय में जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी के किए गए भुगतान की जांच के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए हैं. जांच के बाद दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर भुगतान की रिकवरी की जाएगी. एक-एक ब्लॉक में करोड़ों रुपयों का भुगतान हुआ है. इसका भी ऑडिट कराया जा रहा है.

45 महिलाओं के बैंक खातों में अशोक का मोबाइल नंबर: आगरा सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि गांव नगला कदम निवासी अशोक के बनाए समूह में 45 महिलाएं हैं. जिनके एकाउंट भी खुलवाए गए हैं. हर बैंक खाते में अशोक का मोबाइल नंबर दर्ज है.

कौन है अशोक? जो खातों से निकालता रहा रुपए: सीएचसी डॉक्टर्स और कर्मचारियों के साथ मिलकर इन महिलाओं की डिलीवरी कराने और नसबंदी के लाभार्थी दिखाकर बैंक एकाउंट में रकम भेजी गई. जिसे यूपीआइ से खुद अशोक निकालता रहा. महिलाओं को एक बार का भुगतान भी नहीं मिला है.

भूपेन्द्र सिंह ठाकुर