रायगढ़ / वैसे तो रायगढ़ जिले के आबो हवा व पर्यावरण के लिए नासूर बन रहे कल-कारखाने का लगातार विरोध होता आ रहा है,लेकिन इसका कोई असा देखने को नहीं मिल रहा जिसके चलते यहाँ लगनेवाले उद्योग भस्मासुर की तरह यहाँ की जल जंगल और जमींन को लगातार निगलते जा रही है,
इसी कड़ी में घरघोड़ा के ग्राम पंचायत डोकरबुड़ा और राबो में ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव प्राइवेट लिमिटेड द्वारा औद्योगिक प्रयोजन के लिए भूमि व्यपवर्तन (डायवर्जन) का आवेदन किया गया है, जिसे लेकर इन दोनों गांव के ग्रामीणों में भारी आक्रोश है,

पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने इसे पूरी तरह अवैध और जनविरोधी कदम करार दिया है, ग्रामीणों का आरोप है कि बिना ग्राम सभा की सहमति के यह प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है, जो न केवल संविधान की पांचवीं अनुसूची और पेसा अधिनियम 1996 का उल्लंघन है, बल्कि जनहित और पर्यावरण के लिए भी घातक है,
बता दें कि कुछ दिन पहले ही ब्लैक डायमंड कंपनी के खिलाफ ग्राम डोकरबुड़ा के भारी संख्या में महिला और पुरुष जिला मुख्यालय जनदर्शन पहुंचे थे,जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर घरघोड़ा एसडीएम के ऊपर ब्लैक डायमंड कंपनी के पक्ष में कार्य करने का गंभीर आरोप लगाया था तथा एक सप्ताह की भीतर कार्यवाही न करने पर चक्का जाम करने की चेतावनी भी दी थी,
इस बीच भूमि अपवर्तन का इस्तहार आदेश देख अब ग्राम पंचायत राबो के भी ग्रामीण और जनप्रतिनिधि भी इस विस्फोटक कंपनी के विरोध में एसडीएम कार्यालय में आपत्ति दर्ज की है, ग्रामीणों ने बताया कि विरोध के बावजूद उक्त भूमि पर स्थित पेड़ो की कटाई, जेसीबी से समतलीकरण कार्य और कॉलम डालने के लिए गढ्ढे खोदे जा रहे हैं,
ग्राम पंचायत छर्राटांगर के सरपंच पर आरोप है कि वह बारूद कंपनी के पक्ष में काम कर रहा है और डोकरबुड़ा के ग्रामीणों का अपमान कर रहा है, जबकि दूसरी ओर ग्राम पंचायत राबो के सरपंच और उपसरपंच इस कंपनी के खिलाफ एसडीएम घरघोड़ा को आपत्ति पत्र सौंप चुके हैं, ग्रामीणों का कहना है कि यह विस्फोटक प्लांट का प्रयोजन पूरी तरह से जनविरोधी है और इसे किसी भी कीमत पर स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए,
बिना ग्राम सभा की सहमति के इस विस्फोटक प्लांट के लिए आवेदन किया गया है, जो नियमों का उल्लंघन है। विस्फोटक नियम 2008 के तहत ऐसे उद्योगों के लिए तय मानकों का पालन नहीं किया गया है, जिससे गांव के आसपास के लोगों की भूमि पर प्रतिबंध और आजीविका का संकट खड़ा हो जाएगा,
ग्रामीणों का कहना है कि यह प्लांट गांव की मिट्टी, पानी और हवा को जहरीला बनाएगा, जिससे कृषि, पशुपालन और जनस्वास्थ्य पर गंभीर खतरा उत्पन्न होगा। प्रदूषण से अस्थमा, त्वचा रोग और अन्य गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ेगा।
गांव के पास स्थित स्कूलों, आंगनवाड़ियों और हायर सेकेंडरी स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। साथ ही यह प्रस्तावित क्षेत्र हाथी विचरण क्षेत्र में आता है, जहां वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए किसी भी औद्योगिक गतिविधि को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विस्फोटक पदार्थों का भंडारण और उपयोग यहां के पर्यावरणीय संतुलन को नष्ट कर देगा।
इधर, रायगढ़ कलेक्टर कार्यालय की शिकायत शाखा ने शिकायतकर्ताओं को आश्वासन दिया है कि डोकरबुड़ा में ब्लैक डायमंड कंपनी के लिए किए गए भूमि डायवर्जन की जांच की जाएगी। इसके लिए एक जांच दल गठित कर भू-अभिलेख शाखा को फाइल भेजी जा चुकी है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस परियोजना को तुरंत निरस्त किया जाए, अन्यथा वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
अब देखना होगा कि प्रशासन और राजस्व विभाग ब्लैक डायमंड के विस्फोटक प्लांट के इस जनविरोधी प्रयोजन पर क्या निर्णय लेते हैं। यदि प्रशासन ने इसे जबरदस्ती आगे बढ़ाने की कोशिश की, तो ग्रामीण कहा कि उग्र आंदोलन छेड़ने से पीछे नहीं हटेंगे।