कोरबा। कोरबा वनमंडल के कनकी ग्राम में शुक्रवार रात्रि लगभग 10 बजे एक अत्यंत विषैला साँप रसेल वाइपर (Daboia russelii) देखे जाने की सूचना पर त्वरित और समन्वित रेस्क्यू अभियान चलाया गया। ग्रामीणों की सतर्कता और वन विभाग की सजगता के चलते यह रेस्क्यू पूरी तरह सफल रहा। इस अभियान ने दिखा दिया कि विज्ञान, जागरूकता और संवेदनशीलता के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष को टालना संभव है।
प्रशासनिक समन्वय से हुआ रेस्क्यू
रेस्क्यू अभियान उप वनमंडलाधिकारी श्री आशिष खेलवार के निर्देशन में संचालित किया गया। नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के वरिष्ठ रेस्क्यूअर श्री जितेन्द्र सारथी एवं राजू बर्मन ने मौके पर पहुंचकर पहले लोगों को सुरक्षित दूरी पर किया, फिर वैज्ञानिक रेस्क्यू प्रोटोकॉल का पालन करते हुए साँप को शांतिपूर्वक पकड़ा और सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया। अभियान के दौरान किसी प्रकार की जन या वन्यजीव क्षति नहीं हुई।
भारत के “Big Four” में शामिल रसेल वाइपर
रसेल वाइपर भारत के चार सबसे विषैले साँपों — “The Big Four” — में शामिल है और इसे वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वर्ग-I की सुरक्षा प्राप्त है। भूरे रंग के शरीर पर गोल काले धब्बों और त्रिकोणीय सिर वाला यह साँप ग्रामीण क्षेत्रों और खेतों के पास सक्रिय रहता है। इसका विष हेमोटॉक्सिक होता है जो रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है, लेकिन समय पर उपचार संभव है। यही कारण है कि इसके विष का उपयोग पॉलीवेलेंट एंटी-स्नेक वेनम के निर्माण में किया जाता है।
जागरूकता का संदेश भी दिया गया
रेस्क्यू के दौरान श्री सारथी ने ग्रामीणों को साँपों की पहचान, उनके व्यवहार, तथा बचाव के तरीकों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रसेल वाइपर जैसी प्रजातियाँ खेतों में चूहों की आबादी को नियंत्रित कर कृषि जैव-संतुलन बनाए रखती हैं, जिससे कीटनाशकों की आवश्यकता कम होती है। इस ज्ञान ने ग्रामीणों के डर को कम कर जागरूकता बढ़ाई।
वन विभाग का संदेश: सह-अस्तित्व को अपनाएं
उप वनमंडलाधिकारी आशीश खेलवार ने कहा, “वन्यजीवों से सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा देना हमारी ज़िम्मेदारी है। यह रेस्क्यू केवल एक जान बचाने की घटना नहीं, बल्कि पर्यावरण के साथ तालमेल की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
प्रकृति और मानव के बीच संवाद की सीख
कनकी ग्राम की यह घटना केवल साँप पकड़ने तक सीमित नहीं रही। यह एक उदाहरण है कि जब ग्रामीण सजगता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और प्रशासनिक सक्रियता एक साथ कार्य करते हैं, तब मानव-प्रकृति के बीच संघर्ष की जगह सह-अस्तित्व की भावना जन्म लेती है। रसेल वाइपर का यह सफल रेस्क्यू वास्तव में वन्यजीव संरक्षण, जागरूकता और विज्ञान आधारित हस्तक्षेप की एक प्रेरणादायक मिसाल है।