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शोक जैसे आपदा को अवसर में बदलने वाले आरोपी पहुचे सलाखों के पीछे,मुवावजा पाने के चक्कर में रच डाला ये षड्यंत्र–

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बिलासपुर /बिलासपुर जिले से एक सनसनीखेज मुआवजा घोटाला सामने आया है, जिसने शासन-प्रशासन और चिकित्सा तंत्र की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं,यहाँ एक व्यक्ति की सामान्य मृत्यु को “सर्पदंश” दर्शाकर शासन से तीन लाख रुपये की मुआवजा राशि ठगने का संगठित षड्यंत्र रचा गया,

इस मामले में पुलिस ने वकील, फॉरेंसिक चिकित्सक और मृतक के परिजनों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और मुआवजा घोटाले की धाराओं में एफआईआर दर्ज की है, दरअसल बीते 12 नवंबर 2023 को शिवकुमार घृतलहरे निवासी पोड़ी, थाना बिल्हा को उल्टी और मुंह से झाग आने की स्थिति में बिल्हा सीएचसी लाया गया था,

जहाँ से उसे सिम्स अस्पताल बिलासपुर रेफर किया गया, जहाँ 14 नवंबर को इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई, परिजनों ने दावा किया कि शिवकुमार की मौत सर्पदंश से हुई है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यही तथ्य दर्शाया गया,

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 पुलिस को pm रिपोर्ट पर संदेह हुआ क्योंकि शव निरीक्षण के दौरान मृतक के शरीर पर सर्पदंश का कोई निशान नहीं पाया गया,सिम्स अस्पताल के चिकित्सकों से प्राप्त जानकारी में यह स्पष्ट हुआ कि मृतक को शराब और अज्ञात ज़हर के सेवन से उत्पन्न स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण भर्ती किया गया था,

वही पुलिस के पूछताछ में परिजनों ने स्वीकार किया कि वकील कामता प्रसाद साहू ने उन्हें सुझाव दिया था कि अगर मृत्यु को सर्पदंश बताकर पोस्टमार्टम कराया जाए तो शासन से तीन लाख रुपये का मुआवजा प्राप्त हो सकता है, इसी लालच में आकर उन्होंने पुलिस और डॉक्टर को भ्रामक तथ्य प्रस्तुत किए,

सिम्स अस्पताल में फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका सोनी ने भी बिना समुचित निरीक्षण के सर्पदंश को मृत्यु का कारण बताया, जबकि साक्ष्य इसके विपरीत थे,जांच में यह पाया गया कि उन्होंने मृत्यु के वास्तविक कारण शराब और ज़हर सेवन की अनदेखी कर झूठी रिपोर्ट तैयार की जिससे परिजनों को मुआवजा प्राप्त हो सके, पुरे मामले का खुलासा होते ही पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ अपराध क्रमांक 194/2025 अंतर्गत धारा 420 (धोखाधड़ी), 511 (अपराध का प्रयास), एवं 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला पंजीबद्ध कर आरोपियों को गिरफ्तार किया है,

ये है इस कांड के कर्ता-धर्ता –

  • कामता साहू, पेशे से वकील – साजिश का मास्टरमाइंड
  • डॉ. प्रियंका सोनी, फॉरेंसिक मेडिसिन एक्सपर्ट – फर्जी रिपोर्ट की जिम्मेदार
  • परागदास घृतलहरे, मृतक के पिता – मुआवजा का मुख्य लाभार्थी
  • हेमंत घृतलहरे, भाई – झूठ का साझेदार
  • नीता घृतलहरे, पत्नी – सांप की झूठी कहानी की सूत्रधार

यह मामला केवल मुआवजा घोटाले का नहीं बल्कि शासन की संवेदनशील योजनाओं के दुरुपयोग और गरीबों के अधिकारों पर डाले गए आर्थिक डाके का ज्वलंत उदाहरण है,इस घटना के बाद से बिलासपुर पुलिस ने ऐसे सभी संदिग्ध मुआवजा मामलों की पुनः जांच प्रारंभ कर दी है, अब समय आ गया है कि शासन ऐसे मामलों पर कठोरतम कार्रवाई कर यह संदेश दे कि शोक जैसे आपदा को अवसर में बदलने वाले अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा, यह मामला एक चेतावनी है कि “मुआवजा माफिया” किस प्रकार मानवीय संवेदनाओं का व्यापार कर रहे हैं।

भूपेन्द्र सिंह ठाकुर