रायपुर / पहलगाम हमले के बाद छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ पुलिस की सघन कार्रवाई से प्रदेशभर में हड़कंप मचा हुआ है,राजधानी रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में अवैध नागरिकों की पहचान और कानूनी दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है,

पुलिस की इस कार्रवाई से अवैध नागरिकों को संरक्षण देने वाले छुटभैये नेता भूमिगत हो गए हैं,पुलिस की कार्रवाई से पता चला कि राजधानी रायपुर, दुर्ग, भिलाई, भाटापारा, तिल्दा-नेवरा, कवर्धा, बेमेतरा, बिरगांव, खरोरा, अमलेश्वर, सिलतरा और भाटागांव जैसे इलाकों में पाकिस्तानी नागरिक खुलेआम अवैध प्लॉटिंग और प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार कर रहे हैं,

आरोप यह भी है कि इन नागरिकों को स्थानीय छुटभैये नेता संरक्षण देते हैं और उनके लिए फर्जी आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड अपने जुगाड़ से भी बनवाए जाते हैं, एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल (2018–2023) के दौरान अवैध पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों को पहचान पत्र और प्रॉपर्टी खरीदने की खुली छूट दी गई थी,
जानकारों का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने वोट बैंक के लिए इन नागरिकों को बसाने में मदद की और उनके लिए दस्तावेज तैयार कराने में बिचौलिए सक्रिय थे,पुलिस की कार्रवाई केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद पुलिस ने बिलासपुर में 300 से अधिक अवैध नागरिकों की पहचान की है और अब तक 50 से अधिक लोगों को वापस भेजा जा चुका है, कई जिलों में मोहल्लों का दौरा कर दस्तावेजों की जांच की जा रही है कोई ठोस सरकारी रिकॉर्ड नहीं राज्य सरकार और इंटेलिजेंस के पास इन अवैध नागरिकों का कोई ठोस रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है,
जानकार सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान-बांग्लादेश से धार्मिक आयोजनों में आए कई लोग वापस नहीं लौटे और प्रदेश में बस गए,वर्ष 2018 से 2023 के बीच बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेजों के जरिए ये नागरिक स्थायी निवासी बन गए,भविष्य में सुरक्षा चुनौती विशेषज्ञों का कहना है कि यदि शीघ्र सख्त कदम नहीं उठाए गए तो ये अवैध नागरिक राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं,पुलिस और प्रशासन के लिए यह समय है कि वे प्रदेश को सुरक्षित रखने हेतु निर्णायक कार्रवाई करें,,,