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छत्तीसगढ़ में पहली बार सर्प दंश प्रबंधन पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित, 350 डॉक्टर्स सहित विशेषज्ञों ने साझा की जानकारियां

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कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में पहली बार सर्प दंश प्रबंधन पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कोरबा वन मंडल और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा किंग कोबरा कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग, एसईसीएल और वेदांता बालको का सहयोग रहा। राज्यभर से 350 डॉक्टर्स, 30 रेस्क्यू टीम सदस्य, मेडिकल छात्र और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए।

  • छत्तीसगढ़ के 44% क्षेत्रफल पर वन और 70% आबादी की कृषि पर निर्भरता के कारण सर्पदंश की घटनाएं आम हैं।
  • लेकिन अधिकांश मामले रिपोर्ट नहीं होते, क्योंकि लोग अभी भी झाड़-फूंक या वनस्पति उपचार पर भरोसा करते हैं।
  • राज्य में 43 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें किंग कोबरा, करैत और कोबरा जैसे विषैले सांप शामिल हैं।

किंग कोबरा संरक्षण पर जोर: कोरबा वन मंडल अधिकारी अरविंद पी ने बताया कि यह प्रोजेक्ट न केवल दुर्लभ सांपों के संरक्षण, बल्कि सर्पदंश प्रबंधन को लेकर जागरूकता फैलाने का माध्यम है।

हेल्थ वर्कर्स को ट्रेनिंग: सीएमओ डॉ. एस.एन. केशरी ने कहा कि 30 साल में पहली बार ऐसे वृहद कार्यक्रम से स्वास्थ्यकर्मियों में आत्मविश्वास बढ़ेगा।

मुआवजा प्रक्रिया स्पष्ट: नायब तहसीलदार सविता सिदार ने बताया कि सर्पदंश से मृत्यु होने पर 4 लाख रुपये तक का मुआवजा राजस्व नियम 6(4) के तहत मिल सकता है।

  • विष प्रबंधन: एम्स रायपुर के डॉ. कृष्ण दत्त चावली ने बताया कि सर्पदंश के बाद एंटीवेनम की मात्रा और फॉरेंसिक जांच कैसे करें।
  • सांपों की पहचान: विशेषज्ञ विवेक शर्मा ने बताया कि विषैले और गैर-विषैले सांपों के दंश के निशान में अंतर कैसे करें।
  • राष्ट्रीय कार्ययोजना: नोवा संस्था के एम. सूरज ने NAPSE (नेशनल एक्शन प्लान फॉर स्नेक बाइट प्रिवेंशन) के तहत 2030 तक मृत्युदर आधा करने के लक्ष्य की जानकारी दी।
  • महापौर संजू देवी राजपूत: “कोरबा में सांपों को सुरक्षित निकालने और उनके संरक्षण का काम राज्य के लिए गर्व की बात है।”
  • कलेक्टर अजीत बसंत: “सर्पदंश प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य, वन और राजस्व विभागों का समन्वय ज़रूरी है।”

GAYANATH MOURYA