होम मुख्य समाचार

महाकुंभ 2025 में उमड़ा आस्था का महा जन सैलाब, अब तक 39 करोड़ से अधिक लोगों ने किया संगम में स्नान……..

25

नई दिल्ली /प्रयागराज/ महाकुंभ 2025 में आस्था का महासैलाब उमड़ पड़ा है,यहाँ देश-दुनिया के कोने-कोने से आए श्रद्धालु पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए संगम में डुबकी लगा रहे हैं, बसंत पंचमी के अवसर पर तीसरे अमृत स्नान में भक्तों का हुजूम उमड़ा, जहां 2 करोड़ 23 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में पवित्र स्नान किया, वहीं गुरुवार शाम 6 बजे तक 71.74 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई,

महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है,अब तक 39 करोड़ से अधिक लोग संगम में स्नान कर चुके हैं, इस वर्ष 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया गया है, जो अब तक के किसी भी कुंभ मेले से अधिक है,श्रद्धालुओं की गणना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने AI आधारित हाईटेक कैमरों का उपयोग किया है, जिससे सटीक आंकड़े जुटाए जा रहे हैं,

144 साल बाद बना दुर्लभ संयोग– हर 12 वर्ष बाद आयोजित होने वाला कुंभ इस बार “महाकुंभ” के रूप में विशेष है, क्योंकि यह 144 वर्षों में 12 कुंभ पूरे होने के बाद आ रहा है। इस दुर्लभ संयोग के कारण श्रद्धालुओं की संख्या पहले से अधिक हो रही है, जिससे प्रयागराज में धर्म और आध्यात्म का भव्य संगम देखने को मिल रहा है।

क्यों मनाया जाता है कुंभ मेला- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच 12 दिनों तक भीषण संघर्ष हुआ। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं। तभी से इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

विशेष ग्रह स्थिति में आयोजित होने वाले कुंभ की तिथियां निम्नलिखित हैं-
प्रयागराज: जब गुरु वृषभ राशि और सूर्य मकर राशि में होते हैं।
हरिद्वार: जब सूर्य मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं।
नासिक: जब गुरु और सूर्य सिंह राशि में होते हैं।
उज्जैन: जब गुरु सिंह राशि और सूर्य मेष राशि में होते हैं।

महाकुंभ 2025: अद्भुत, अलौकिक और अभूतपूर्व
महाकुंभ 2025 में देश-विदेश के साधु-संतों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों का जमावड़ा लगा हुआ है। संगम तट पर आध्यात्मिक अनुष्ठान, संतों की प्रवचन सभा और विभिन्न धार्मिक आयोजनों ने इस मेले को और भी भव्य बना दिया है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है ताकि श्रद्धालु निर्विघ्न होकर आस्था के इस पर्व में शामिल हो सकें। महाकुंभ 2025 में आस्था की यह अविरल धारा “सनातन संस्कृति की अमर धरोहर” को पुनः प्रमाणित कर रही है।

भूपेन्द्र सिंह ठाकुर