नई दिल्ली /भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का नई दिल्ली के निगमबोध घाट पर सरदार रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया,उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है, 92 वर्षीय मनमोहन सिंह को चंदन की लकड़ी से मुखाग्नि दी गई और उनकी अंतिम यात्रा में देश और विदेश के कई बड़े नेता शामिल हुए,
डॉ. मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को उनकी पसंदीदा नीली पगड़ी पहनाई गई जो उनकी पहचान का हिस्सा थी,यह पगड़ी उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सम्मान में चुनी थी, उनके अंतिम संस्कार से पहले उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया,उनकी अंतिम यात्रा में उनकी तीन बेटियां – बड़ी बेटी उपिंदर सिंह (65), दूसरी बेटी दमन सिंह (61), और तीसरी बेटी अमृत सिंह (58) मौजूद रहीं,
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निगमबोध घाट पर पहुंचकर डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी,इस अवसर पर भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक भी विशेष रूप से उपस्थित रहे,कई अन्य प्रमुख नेता, जिनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे,भारतीय सेना के तीनों अंगों के प्रमुख और सीडीएस ने भी उन्हें अंतिम सम्मान दिया,
डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में चंदन की लकड़ी का उपयोग किया गया,अंतिम संस्कार का संचालन आचार्य योगेश कुमार ने किया,उन्होंने बताया कि चंदन की लकड़ी के उपयोग से वातावरण शुद्ध होता है और यह सरदार रीति-रिवाजों के अनुरूप है, डॉ. मनमोहन सिंह को एक विद्वान अर्थशास्त्री और ईमानदार राजनेता के रूप में याद किया जाता है,उनके नेतृत्व में भारत ने कई आर्थिक और सामाजिक बदलाव देखे,उनके निधन से देश ने एक महान नेता और प्रेरणास्त्रोत खो दिया है,
मनमोहन सिंह की विरासत– पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भारत के आर्थिक सुधारों के मुख्य वास्तुकार माने जाते हैं, उन्होंने 1991 में देश को आर्थिक संकट से उबारने में अहम भूमिका निभाई थी,उनके शांत और सरल व्यक्तित्व ने भारतीय राजनीति में एक अलग स्थान बनाया,
डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार उनके योगदान और समर्पण को याद करते हुए सम्पन्न हुआ,पूरा देश उनके इस योगदान के लिए हमेशा ऋणी रहेगा।