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राजस्व विभाग की अबूझ पहेली, कभी भी किसी की जमीन का बदल देते हैं मालिक–

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रायगढ़/राजस्व विभाग की जितनी तारीफ की जाए कम है। यह विभाग जमीनों का भगवान है। कब किसकी जमीन को कैसे दूसरे के नाम करना है, कैसे सरकारी जमीन को निजी बनाना है, ये सारे करतब इस विभाग को आते हैं। अब एक ऐसी जमीन की जानकारी मिली है जो वर्ष 21-22 तक केलो परियोजना के नाम थी।

इसके बाद अब इस पर जिंदल स्टील धान उगा रहा है। यह अजब-गजब मामला केवल रायगढ़ में ही संभव है। यहां के पटवारी, आरआई, तहसीलदार, एसडीएम सभी का दिमाग कंप्यूटर से भी ज्यादा तेज दौड़ता है। यह दिलचस्प मामला जोरापाली का है। यहां खसरा नंबर 7/1 रकबा 1.2120 हे. भूमि स्थित है।

इस जमीन का मालिक वर्ष 21-22 तक कार्यपालन अभियंता केलो परियोजना था। यही कृषि भूमि थी जिसे नहर बनाने के लिए अधिग्रहित किया गया था।इसके बाद वर्ष 23-24 में अचानक से सब कुछ बदल गया। राजस्व अभिलेखों में अक्षर मिट गए और इस जमीन का मालिक ही बदल गया।

अब इस भूमि का स्वामी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड है। केलो परियोजना से सीधे जेएसपीएल के नाम यह जमीन कैसे हुई, कोई नहीं जानता। उससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि इस जमीन पर जेएसपीएल धान उगा रहा है। यही नहीं इसकी पुष्टि भी राजस्व विभाग कर रहा है।

25 सितंबर 2024 को हुई गिरदावरी में इसमें से 1.0810 हे. रकबे पर खरीफ धान की एंट्री की गई है। यह बात समझ से बाहर है कि केलो परियोजना से जमीन जेएसपीएल के पास कैसे आई। उससे में मजेदार बात यह है कि जिंदल स्टील ने इस जमीन को धान की फसल लगाने के लिए लिया है। कोई अचरज नहीं होगा अगर इसका धान पंजीयन भी हुआ हो।

ऐसा कैसे हो गया
केलो परियोजना ने कलमी, जोरापाली, धनागर में नहर निर्माण के लिए जमीन ली थी। संभवत: यह भूमि भी उसी का हिस्सा होगा। केलो परियोजना के नाम पर दर्ज जमीन पर जेएसपीएल का नाम कैसे चढ़ गया। पटवारी ने तो बाकायदा गिरदावरी में भी इसकी एंट्री कर दी है।