विविध / मैं बहुत चिंतित हूं, देश की हालत बहुत खराब है, बहुत ही विकट स्थिति से गुजर रहा है, गाड़ी के शोरूम में जाइए हर नए मॉडल पर छह महीने से ज्यादा का लंबा वेटिंग पीरियड होता है,कई रेस्तरां में लंबी कतार है और कोई खाली टेबल नहीं है!
शराब की दुकानों पर लाइन खत्म नहीं होती,चिकन की भी डिमांड कम नहीं है. शॉपिंग मॉल में पार्किंग की जगह नहीं है,इतनी भीड़,कई मोबाइल कंपनियों के मॉडल आउट ऑफ स्टॉक हो गए हैं, लॉन्च होते ही ऐपल आउट ऑफ स्टॉक हो रहा है,
ऑनलाइन शॉपिंग के दौर में कामकाजी दिन में भी शाम के वक्त बाजारों में पांव रखने की जगह नहीं,रोज जाम जैसे हालात! ऑनलाइन शॉपिंग उद्योग अपने उफान पर है, जब बेमतलब की बत्तियां जलती हैं, पंखा चलता है, मेरे घर में टीवी चलता है, तब मुझे बुरा नहीं लगता, लेकिन जब बिजली के दाम बढ़ते हैं तो मेरी अंतरात्मा चलती है,
जब मेरे बच्चे सोलह डिग्री सेंटीग्रेड पर कंबल पर एसी लगाकर सोते हैं,मैं कुछ नहीं कह सकता लेकिन जब बिजली का रेट बढ़ता है तो मेरा पारा चढ़ जाता है,जब मेरा गीजर 24 घंटे चालू रहता है तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब बिजली का रेट बढ़ जाता है तो मेरी खुजली बढ़ जाती है,
जब मेरी नौकरानी या पत्नी रसोई गैस बर्बाद करती है, तो मेरी जीभ नहीं चलती है लेकिन जब गैस की कीमतें बढ़ती हैं तो मेरी जीभ शिकायत करना बंद नहीं करती है, मुझे लाल बत्ती पर कार का इंजन बंद करना पसंद नहीं है, मैं घर से दो लेन दूर दूध लेने स्कूटर से जाता हूं,
वीकेंड में दस-बीस किलोमीटर बे-वजह चला लेता हूँ,पर पेट्रोल के दाम एक रुपया भी बढ़ जायें तो ठिठुरन होती है,मुझे एक रात के लिए दो हजार का खाना खाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन बीस/पचास रुपये का पार्किंग शुल्क मुझे बहुत चुभता है,
मॉल में दस हजार की खरीदारी करते समय मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन हरी सब्जी के ठेले वाले से मोलभाव किए बिना मुझे अपना खाना नहीं पचता, मैं अपने वेतन पुनरीक्षण के लिए सरकार को रोज कोसता हूं लेकिन जब मैं अपनी नौकरानी का वेतन सुनता हूं तो मेरा बीपी बढ़ जाता है,
मेरे बच्चे मेरी बात नहीं सुनते कोई बात नहीं लेकिन अगर प्रधानमंत्री मेरी बात नहीं मानते हैं, तो मैं उन्हें तरह-तरह की गालियां देता हूं, मैं एक स्वतंत्र देश का एक स्वतंत्र नागरिक हूं हां, वे कहते हैं कि सरकार 130 करोड़ आबादी के लाभ के लिए ईमानदारी से सही दिशा में काम कर रही है, लेकिन मुझे मेरी और मेरे परिवार की चिंता है, जो देश बदल रहा है, उसे मैं बदल दूंगा,
लेकिन हालांकि मैं खुद गलत हूं, मैं खुद को नहीं बदलूंगा, मैं खुद को कभी नहीं बदलूंगा, आपमें खुद को बदलने की क्षमता नहीं है, और आप पीएम और दूसरों को बदलने की सोच रहे हैं,सोचिए कि आप हमारे देश के हित में कितना योगदान/त्याग कर रहे हैं! हम सब कहाँ जा रहे हैं? गंभीर आत्मनिरीक्षण का समय ….