विविध / कल से श्राद्ध पक्ष आरंभ, पूजे जाएंगे पितृदेव, दरअसल पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है, और समाप्ति आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होती है, हिंदू धर्म के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धा का विशेष महत्व है,
शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है,पूर्वज खुश होते हैं, और सदैव अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं, पितृपक्ष में तिथियों के अनुसार पितरों का श्राद्ध करने में विशेष पुण्य मिलता है, इस पक्ष में ब्राह्मण भोज का भी विशेष महत्व है,
हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं, इस दौरान पितृ दोष निवारण के लिए तर्पण व पिंडदान किया जाता है, राज पुरोहित रितेश शुक्ला ने बताया कि व्यक्ति की मृत्यु तिथियों के अनुसार श्राद्ध कर्म किया जाता है, व्यक्ति के मृत्यु की तिथि का ज्ञान नहीं होने पर चतुर्दशी अथवा पितृ मोक्ष के दिन श्राद्ध व तर्पण किया जाता है,
उनके अनुसार श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य नहीं किए जाने चाहिए पितृदोष निवारण और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अपने पूर्वजों का तर्पण पूर्ण मन कर्म और विधि विधान से किया जाना चाहिए, इससे मृत व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, और उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाले संकट दूर होती है,