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फ्लाई एश (राखड़) के ढेर से कोरबा की फिजा हो रही जहरीली,जिम्मेदार है मौन-सुनेगा कौन-??

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कोरबा / उद्योग घराने मानक मापदंडों को ताक पर रखकर खुले में डंप कर रहे फ्लाई एश (राखड़),भूमि समतलीकरण के नाम पर चल रहा कब्जे का खेल,उद्योग घरानों के आगे सारे सिस्टम है फैल,प्रशासन व पर्यावरण विभाग मूकदर्शक बना है,

दरअसल कोरबा जिला प्रशासन,पर्यावरण संरक्षण मंडल की खुली छूट की वजह से ताप विद्युत संयंत्र घराने अपने मनमानी पर उतर आए है,गांव से लेकर शहर तक मापदंडों का माख़ौल उड़ाकर खुले में संयत्रों से उत्सर्जित राखड़ (फ्लाई ऐश) फेंक कोरबा की शुद्ध आबोहवा को दूषित कर रहे,

लगातार शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से यहां के बाशिंदों की जिंदगी सहित जीवनदायिनी हसदेव नदी का अस्तित्व खतरे में हैं,वही जमीन समतलीकरण की आड़ में जहां तहां डंप किए जा रहे राखड़ से सरकारी जमींन पर कब्जे की बाढ़ बढ़ रही है,शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से लोगो में प्रशासन,पर्यावरण विभाग के प्रति जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है,

कोरबा शहर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में अब भी जमीन समतल करने के नाम पर राख फेंकी जा रही है, बताया जा रहा है कि ऐसा भूमाफियाओं द्वारा जमीनों पर कब्ज़ा करने की नीयत से करवाया जा रहा है, वहीं इनके इस कृत्य से राख बहकर जीवन दायिनी हसदेव नदी का पानी को भी प्रदूषित कर रही है,

इस जीवनदायिनी नदी और इससे जुड़े छोटे-बड़े नदी-नालों पर आम लोग ही नहीं बल्कि यहां के बिजली कारखाने और कोयला खदान प्रबंधन भी आश्रित हैं। मगर यही कारखाने और खदान यहां के जनजीवन के लिए सालों से मुसीबत बने हुए हैं। बिजली कारखाने से निकलने वाली राख का निपटारा विधिवत ढंग से करने की बजाय यहां केवल जमीन को समतल करने के लिए किया जा रहा है।वर्तमान में यहां के दर्री इलाके और बालको के एक बड़े भूभाग में हसदेव नदी और ढेंगुर नाले के पास फ्लाई ऐश डाली जा रही है।

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