रायगढ़ / यहाँ चल रहा है महीनों से राशन वितरण में अनियमितता, जिम्मेदार अधिकारी खेल रहें है नोटिस नोटिस, आज कलेक्टर जनदर्शन में राशन वितरण की अनियमितता को लेकर खरसिया ब्लॉक के एक गाँव से ग्रामीण भारी संख्या में पहुंचे थे,
आमतौर पर इस प्रकार के एक – दो मामले जनदर्शन में आते ही रहते हैं, लेकिन यह मामला कुछ अलग ही था, जिसमे ग्रामीणों ने उचित मूल्य की दुकान से चावल के बदले नकद मिलने की बात कही है, दरअसल पूरा मामला यह है कि आज रायगढ़ कलेक्टर कार्यालय में जनदर्शन कार्यक्रम में खरसिया तहसील के ग्राम पंचायत गाड़ापाली के आश्रित ग्राम साजापाली से कई ग्रामीण राशन वितरण की अनियमितता की शिकायत लेकर पहुंचे थे,
कलेक्टर के पास अपनी शिकायत दर्ज कराकर जब वह बाहर पहुँचे तब हुई चर्चा में उन्होंने बताया कि पिछले 6 से 7 महीनों से कई ग्रामीणों को राशन दुकान से चावल नहीं मिला है,ग्राम पंचायत की राशन दुकान सरपंच-सचिव चलाते हैं। ग्रामीणों के बताए अनुसार दुकानदार द्वारा उनसे मशीन में अंगूठा तो लगवा लिया जाता है,
फिर आबंटन आएगा तब चावल वितरण किया जायेगा कहकर टरका दिया जाता है, ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी राशन नहीं मिलने के कारण बाहर से 25 रुपए किलो में चावल खरीद कर खाना पड़ रहा है, इस कारण दुकान संचालक पर दबाव बनाया गया तो संचालक ने 21 रुपए किलो के भाव से उन्हें नकद ले जाओ कह दिया लेकिन चावल नहीं दे पाउँगा ऐसा कहकर चलता कर दिया जाता है, जो कि कई ग्रामीणों द्वारा मजबूरी में ले भी लिया गया है।
आखिर यह कौन सी व्यवस्था है जिसमें राशन के बदले नकद पैसे का भी विकल्प मौजूद है। कहीं यह सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की परिणति है कि जरूरतमंदों के लिये चलायी जा रही योजना का लाभ, उनके हक पर डाका तंत्र में बैठे या इससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोग उठा रहे हैं। एक ओर प्रदेश के मुखिया गाँव, गरीब, किसान के प्रति अपनी चिंता और उनके लिये उठाये जा रहे कल्याणकारी कदमों, प्रयासों की अपने हर कार्यक्रम में दुहाई देते फिरते हैं और वहीं दूसरी तरफ उनके नुमाइंदे इस पर पलीता लगाने में तुले हैं,
वही जब मामले में संबंधित क्षेत्र के अधिकारी से संपर्क साधा गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया, तब स्थानीय खाद्य शाखा में संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि संबंधित राशन दुकान की शिकायत पूर्व में भी प्राप्त हुई थी जिसकी जाँच क्षेत्र के इंस्पेक्टर द्वारा की गई एवं रिपोर्ट खरसिया एसडीएम को सौंपी गयी,
जहां से उक्त दुकान संचालक को अब तक 3 बार नोटिस जारी किया जा चुका है, किंतु उसके द्वारा अब तक किसी भी प्रकार का जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है, अब सवाल यह उठता है कि ग्रामीण विगत 6-7 माह से राशन न मिलने व अंगूठा भी लगवा लिये जाने की शिकायत क्षेत्र के खाद्य निरीक्षक से कई बार करने की बात कह रहे हैं, और वहीं संबंधित अधिकारी द्वारा शिकायत पर जाँच करने व रिपोर्ट सौंपे जाने, तत्पश्चात अब तक संबंधित दुकान संचालक को 3 बार जवाब प्रस्तुत करने हेतु नोटिस जारी किये जाने की बात कहते हैं,
लेकिन संचालक द्वारा अबतलक जवाब नहीं दिये जाने पर कोई ठोस कार्रवाई न किया जाना क्या साबित करता है, इस प्रकार की शिकायतों को प्रशासन गंभीरता से नहीं लेता है,या कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है, राशन के बदले नकद पैसा बांटने वाले दुकानदार को इस गंभीर अपराध के एवज में सजा दिया जाना चाहिये कि अभयदान दिया जाना चाहिये,ये एक गंभीर सवाल है जिसका जवाब हर कोई जानना चाहेगा….?????????????