मध्यप्रदेश / कडुआ है मगर सच है-यहाँ पिज्जा या आन लाइन फ़ूड दस मिनट में आ जाता है पर किसी बीमार को अस्पताल पहुचने के लिए एम्बुलेंस समय पर नहीं पंहुचा पाती है, ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलती एक तस्वीर सामने आई है,

जहाँ एक बेबस मां अपने बेटे को हाथ ठेले पर लेटा कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुची और वहां भी इलाज न मिल पाने के अभाव में उसकी मौत हो गई,इतना ही नहीं यहां से मौत के बाद शव वाहन न मिल पाने पर परिजनों को उसी हाथ ठेले पर ही शव को रखकर घर ले जाना पड़ा,

दरअसल ये पूरा मामला बक्सवाहा क्षेत्र के वार्ड नंबर 14 का है जहां की जशोदा बंसल (मां) और उसकी पत्नी महेंद्र बंसल का इलाज कराने के लिए हाथ ठेला से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थीं, आप देख सकते है सामने आई तस्वीरों में उसकी मां और पत्नी हाथ ठेले पर लादकर उसे पैदल ही अस्पताल ले जा रहे है,

लेकिन देरी से अस्पताल पहुंचने की वजह से उसकी मौत हो गई ,इस पर परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय पर एंबुलेंस और समय पर इलाज मिल जाता तो उसकी मौत नहीं होती, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिलने और समय से अस्पताल न पहुंच पाने महेंद्र की जान चली गई,

मृतक की मां ने बताया कि हमारे बेटे की पीठ में एक बड़ा ट्यूमर था, जिसका इलाज जबलपुर मेडिकल कॉलेज में होना था, पीड़ित को लेकर कुछ दिन पहले जब हम बक्सवाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए पहुंचे तो हमे दमोह अस्पताल रेफर कर दिया गया,

जहां दमोह में इलाज ना होने के कारण उन्हें जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया,इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड भी लगाया लेकिन अस्पताल कार्ड का उपयोग ना समझते हुए हम लोगों का बिना इलाज किए ही हॉस्पिटल से बाहर कर दिया और कहा कि आप के मरीज का ऑपरेशन नहीं हो सकता, अगर आपको ऑपरेशन करवाना है तो आप पैसों की व्यवस्था कर के आइये,

साभार…..

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