सक्ती/ सक्ती जिले के चंद्रपुर में स्थित चंद्रहासिनी देवी मंदिर में माँ चन्द्रहासिनी बाराही रूप में पूजी जाती है। इस संदर्भ में कथा है कि महाराज दक्ष के यज्ञ में भगवान शंकर के अपमान से कुपित देवी सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर अपनी जान दे दी।
जिसके पश्चात उस बिछोह से व्यथित भगवान शंकर देवी सती के निष्प्राण शरीर को कंधे पे ले भटकने लगे जिसे भगवान विष्णु ने चक्र से विच्छेद कर दिया । जिस क्रम में देवी सती के शरीर का जो अंग जिस जगह गिरा वहा शक्ति पीठ की स्थापना हुई।
मान्यता है कि देवी सती का अधोदन्त (दाढ़) चंद्रपुर में गिरा जिस से यह स्थान भी शक्ति पीठ के रूप में मान्य है। “दसनामी साधु परम्परा के श्री करपात्री जी महाराज ने भी इस बात की पुष्टि और इस प्रसंग का वर्णनन कल्याण पत्रिका में अपने एक आलेख में किया है। अपने चन्द्रपुर भ्रमण के दौरान भी इस विषय की जानकारी उन्होंने भक्त जनो को अपने सम्बोधन के द्वारा दी।
चंद्रपुर स्थिति देवी मंदिर में प्रत्येक वर्ष देवी के पावन चैत्र नवरात्र के समीप आते ही भक्तो का तांता मंदिर दर्शन को लगने लगता है। लोगों की आवाजाही और भीड़ को मंदिर के मुख्य द्वार, नगर की गली, सड़को पर देखा जाने लगता है। ऐसे में आने वाले दर्शनार्थियों को ध्यान में रख मंदिर की साफ़ सफाई व दर्शनार्थियों की सुविधा की दृष्टि से मंदिर परिसर के साथ मंदिर के आसपास में पेयजल आदि की व्यवस्था दुरुस्त की जाती है।
वही स्थानीय प्रशासन – पुलिस, राजस्व, नगर निकाय, बिजली, स्वास्थ्य विभाग के साथ तालमेल कर दर्शनार्थियों की सुरक्षा- सुविधा को भी उचित व्यवस्था करते है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र पर आस्था के जोत रूपी लगभग 14000 से अधिक तेल ज्योत कलश जलने की संभावना है।
इस वर्ष चैत्र नवरात्र 22 मार्च को नवरात्र पर्व के प्रथम दिवस प्रातः भव्य कलश यात्रा ढोल बाजे के के साथ निकाल कर विधिवत पुजा अर्चना कर नवरात्र पे देवी आराधना आरम्भ हुई ,जैसा की नवरात्र पर्व के पहले दिन से ही भारी संख्या में दर्शनार्थी पहुचने थे,जो नवरात्र के अंतिम दिनों में प्रती दिवस लाखो की संख्या में रहेगी,
दिनों दिन दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है, यह संख्या शासकीय छुट्टी होने वाले दिवस में दर्शनार्थियों की संख्या में और भी बढ़ोतरी होने की संभावना है। यहां नवरात्रि के साथ वर्ष भर सुदूर क्षेत्रो से अधिकारियो, नेताओं समेत आमजन का दर्शन लाभ को आना होता है,साथ ही हजारों की संख्या में पदयात्री समिति के लोग डभरा, सक्ती, रायगढ़ से यहा पहुंचते है। लोग अपनी मनोकामना हेतु जमीन पर लोटते (कर नापते) दर्शन को मंदिर पहुंचते है,
दर्शनार्थियों की सुविधा और सुरक्षा के साथ उनकी धार्मिक आस्था और रूचि को ध्यान में रख समय समय पर मंदिर व्यवस्था में आवश्यक बदलाव व् सुविधाओं को लागू किया जाता है,विगत कई वर्षो से मंदिर परिसर में प्रसाद रूपी साफ सुथरा भोजन व लड्डू आदि प्रसाद भी निश्चित सहयोग शुल्क पर उपलब्ध रहता है,
वही मंदिर परिसर में साफ़ सफाई संग पेयजल व्यवस्था भी बेहतर करने हर संभव प्रयास हो रहे है,मंदिर में जोत जलवाने वाले श्रद्धालुओ को नवरात्रि पश्चात विशेष प्रसाद भी दिया जाता है,मंदिर न्यास ने आमजन कि सुरक्षा के उद्देश्य से मंदिर परिसर व आसपास को सीसीटीवी कैमरे (तीसरी आंख) की निगरानी में रखा है, ताकि अप्रिय घटना की स्थिति में नियंत्रण व निगरानी की जा सके,वही मेला व्यवस्था में तैनात पुलिस बल को आवश्यकतानुसार छोटी छोटी टुकड़ियों में बांट कर मंदिर आसपास व नगर में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था अपनायी जाती है,
मेला व्यवस्था के संबंध में जानकारी देते हुए मंदिर न्यास के न्यासी श्री अजीत पाण्डेय जी ने बताया कि मेले के दौरान दर्शनार्थियों के लिए हर सम्भव प्रयास किये जाते है,मंदिर परिसर में सुरक्षा और सुविधा का विशेष ख्याल रखा जाता है, मंदिर न्यास के कर्मचारी और न्यासी पूरा प्रयास करते है कि माँ के भक्तों को दर्शन में किसी तरह की परेशानी न हो और व्यवस्थित, सुरक्षित वातावरण में उन्हें माता के दर्शन हो सके,
मंदिर परिसर में ही दर्शनार्थियों के समय व्यतीत करने के लिये मनोहारी कई साधन विकसित किये गये है,इस दौरान पुलिस प्रशासन, राजस्व विभाग, बिजली विभाग, स्वास्थ्य संग नगर निकाय के अधिकारी कर्मचारी का विशेष तौर पे सहयोग मिलता है,,,